Tuesday 19 November 2013

आज का इंसाफ
जीवन की क़ीमत  कुछ वर्ष बतलाता ,
काली पट्टी से बंध जाता इंसाफ ,
 न्याय रक्षक,  जीवन लेने वाले को बनाता। 
दंड न देता न्यायमूर्ति,
 मानवता का पाठ  पढ़ाता  । 
संविधान के किताबों में ही ,
समावेश रहता अनुच्छेद ३०२ ।
नन्हें -नन्हेंकलियों को मोड़ता,
 जीवन का आदर्श बतलाता  । 
चक्षुयों  पर काली पट्टी  बांधकर,
असत्य को सत्य ठहरता  ,
मुद्रा बना पूजा का मंदिर,
 भ्रष्टाचार का दीपक जलाता। 
 अपनी नारी को देवी कहता,
 पर नारी का चीरहरण करवाता । 
स्वर्ण स्फीति  के बल पर काले को सफेद बतलाता । 
जीवन की कीमत मात्र कुछ वर्ष बतलाता,
साधु बना भक्षक,
 कहलवाला  देवों  का देव। 
रक्त पीकर क्रन्तिकारी बन जाता ,
सविंधान के किताबों में लिखा रह जाता अनुच्छेद ,
 कूँहकती  रहती नित्य कालियाँ  अनेक  ।
 जीवन की क़ीमत  कुछ वर्ष बतलाता ,
काली पट्टी से बंध जाता इंसाफ।। 

1 comment:

  1. काफी अच्छी कविता है. सच्चाईयों को बेहद शानदार दांग से प्रस्तुत किया है अपने. All the best.

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