Monday 19 March 2012

चाहत





कही कोई खुशियों का आशियाना होता 
 जंहा न कोई गम की  छाया  होती  ..........
 हर व्यक्ति खिल -खिलाता रहता
  जंहा न लोगो में अभंगता की भावना होती 
 जंहा हर कोई अफसाना सुनाता 
 अबीर का प्रयोग होता 
 नृत्य करती अप्सराए
  प्रीती का न अभाव होता 
  नदियों का सुन्दर संगम होता 
न कोई हिन्दुस्तानी होता न 
कोई पाकिस्तानी होता
 हर कोई एक मात्रभूमि  का सूत कहलाने के लायक होता
   कही कोई खुशियों का आशियाना होता
जंहा न कोई गम का छाया होता .....
 ई गम काकोछाया होती ......

बलिदान


वीर देश के सिपाहियों
 तुम्हारा मै क्या यशोगान गाऊँ..........
जिन्दा है तो सिर्फ तुम्हारे कारण
 अगर है हमारी पहचान तो तुम्हारे कारण है
है  हमारी शान तो तुम्हारे कारण
  खुद न सोकर करते हमारी वो रक्षा  
दिखाते कर्तव्य  वे देश के लिए सच्चा
 हम पर अपना प्राण न्यौछावर वे अपने करते 
 देते वे अधिकार जियो तुम स्वतन्त्र होकर 
 वीर देश के सिपाहियों तुम्हारा मै क्या यशोगान गाऊ............ 
है धैर्य तुम्हारे में हिमालय जैसा
है  विधमान ज्ञान तुम में
 ब्राह्म ,विष्णु , महेश के जैसा 
  वीर देश के सिपाहियों तुम्हारा मै  क्या यशोगान  गाऊ.............

Friday 2 March 2012

अकेली

भीड़ में भी हूँ   अकेली 
  निशदिन रहती हूँ तन्हाइयो  में
  हर कोई पूछता  है मुझसे 
  मै हूँ कौन?
 क्या बताऊ ये खुदा ? 
निकला मुझे इन्ही लोगो ने 
 भीड़ में भी अकेली हूँ
 निशदिन रहती हूँ तन्हाइयो  में
 तू ने मुझे बनाया खुदा
 फिर क्यों पहचानने से इंकार करता ?
  सोचती   हूँ कुछ कर जाऊ
 दुनिया से मै लड़ जाऊ
 फिर सोचती हूँ
 ये वैभव,नाम ,पहचान
 किस कम का  
 एक दिन फिर तुझ पर 
न्यौछावर सब कुछ कर जाऊ     
 भीड़ में भी हूँ अकेली  
निशदिन रहती हूँ तन्हाइयो  में