Monday 19 March 2012

चाहत





कही कोई खुशियों का आशियाना होता 
 जंहा न कोई गम की  छाया  होती  ..........
 हर व्यक्ति खिल -खिलाता रहता
  जंहा न लोगो में अभंगता की भावना होती 
 जंहा हर कोई अफसाना सुनाता 
 अबीर का प्रयोग होता 
 नृत्य करती अप्सराए
  प्रीती का न अभाव होता 
  नदियों का सुन्दर संगम होता 
न कोई हिन्दुस्तानी होता न 
कोई पाकिस्तानी होता
 हर कोई एक मात्रभूमि  का सूत कहलाने के लायक होता
   कही कोई खुशियों का आशियाना होता
जंहा न कोई गम का छाया होता .....
 ई गम काकोछाया होती ......

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