आज का इंसाफ
जीवन की क़ीमत कुछ वर्ष बतलाता ,काली पट्टी से बंध जाता इंसाफ ,
न्याय रक्षक, जीवन लेने वाले को बनाता।
दंड न देता न्यायमूर्ति,
मानवता का पाठ पढ़ाता ।
संविधान के किताबों में ही ,
समावेश रहता अनुच्छेद ३०२ ।
नन्हें -नन्हेंकलियों को मोड़ता,
जीवन का आदर्श बतलाता ।
चक्षुयों पर काली पट्टी बांधकर,
असत्य को सत्य ठहरता ,
मुद्रा बना पूजा का मंदिर,
भ्रष्टाचार का दीपक जलाता।
अपनी नारी को देवी कहता,
पर नारी का चीरहरण करवाता ।
स्वर्ण स्फीति के बल पर काले को सफेद बतलाता ।
जीवन की कीमत मात्र कुछ वर्ष बतलाता,
साधु बना भक्षक,
कहलवाला देवों का देव।
रक्त पीकर क्रन्तिकारी बन जाता ,
सविंधान के किताबों में लिखा रह जाता अनुच्छेद ,
कूँहकती रहती नित्य कालियाँ अनेक ।
जीवन की क़ीमत कुछ वर्ष बतलाता ,
काली पट्टी से बंध जाता इंसाफ।।