कही कोई खुशियों का आशियाना होता
जंहा न कोई गम की छाया होती ..........
हर व्यक्ति खिल -खिलाता रहता
जंहा न लोगो में अभंगता की भावना होती
जंहा हर कोई अफसाना सुनाता
अबीर का प्रयोग होता
नृत्य करती अप्सराए
प्रीती का न अभाव होता
नदियों का सुन्दर संगम होता
न कोई हिन्दुस्तानी होता न
कोई पाकिस्तानी होता
हर कोई एक मात्रभूमि का सूत कहलाने के लायक होता
कही कोई खुशियों का आशियाना होता
जंहा न कोई गम का छाया होता .....
ई गम काकोछाया होती ......